वर्ष 2009.2010 मे ग्राम शाहपुर बम्हेटा, महरोली, नायफल, बयाना, आदि गावों की भूमि का हाईटेक सिटी टाउनशिप विकास योजना के तहत शासन की ओर से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया प्रारम्भ करने के लिए धारा 6 का नोटिफिकेशन हुआ था . उक्त नोटिफिकेशन मे कानूनी खामिया थीं जिससे सम्बंधित किसानों ने माननीय उच्च न्यायलय मे चुनौती दी थीं. माननीय उच्च न्यायलय के आदेश दिनांक 19.08.2011 के विरुद्ध कृषक गणों ने माननीय उच्चतम न्यायलय मे एस. एल. पी योजित की थी माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने उक्त एस एल पी मे दिनांक 30. 01.2012 को विवादित भूमि पे यथास्तित के आदेश पारित किये थे तथा फाइनली उक्त एस एल पी मे दिनांक 9.04.2015 को इस निर्देश के साथ आदेश पारित हुआ था की किसान धारा 5 की आपत्ति सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करें तथा उच्च न्यायलय के निर्देश दिनांक 19.08.2011 के विरुद्ध हाई कोर्ट मे रिव्यु प्रस्तुत करें तथा माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने यह भी कहा था की यदि रिव्यू मे कोई सफलता किसानों को नही मिलती है तो किसान पुनः सर्वोच्च न्यायलय मे आ सकते है.तदानुसार किसानों ने माननीय सर्वोच्च न्यायलय के आदेशों दिनांक 09.04.2015 का अनुपालन कर दिया था तथा रिव्यु पिटीशन आज भी माननीय उच्च न्यायलय मे विचारधीन हैलेकिन सम्बंधित किसानों की भूमि का ए. डी. एम(एल. ए )गाज़िआबाद द्वारा आज तक मुआवजा नही बनाया गया है ए डी एम (एल. ए )द्वारा ग़ज़िआबाद के समाचार पत्रों मे प्रकाशित विज्ञप्ति दिनांक 28.12.2013 मे स्पष्ट कहा गया है की जो प्रकरण माननीय न्यायलय, माननीय उच्च न्यायलय, माननीय उच्चतम न्यायलय मे विचारधीन है उनके अधिनिर्णय के सम्बन्ध मे माननीय न्यायालयों के आदेशों के क्रम मे अग्रिम आवश्यक कार्यवाही की जायेगी जिसका तात्पर्य है की वादग्रस्त भूमि पर दिनांक 28.12.2013 को माननीय सर्वोच्च न्यायलय का यथास्तिथि आदेश पारित था तथा भूमि अधिग्रहण की धारा 11ए के अनुसार भी धारा 6 के 2 साल बाद मुआवजा बनने पे रोक है |
रिव्यु का निर्णय होना अभी शेष है परन्तु कुछ भूमाफिया और बिल्डर आपस मे गठजोड़ करके लीज़ डीड से फ़र्ज़ी रजिस्ट्री करके हमारी ज़मीन हथियाना चाहते है और कब्ज़े का असफल प्रयास करते रहते है विधि के प्रतिपादित सिद्धांत तथा न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णययों मे यह स्पष्ट उल्लेख है की भूमि अधिग्रहण करने से पहले उस भूमि की संभावित कीमत का धारा 17 (3A)के अनुसार किसानों को नोटिस दिया जाता है जिससे किसानों को उक्त रकम का 80%पैसा पैसा दिया जाना होता है यह धारा 17(3A) कहती है!तथा धारा 31 के अनुसार यदि किसान पैसा नही लेता है तो उक्त 80%प्रतिशत रकम को न्यायलय मे जमा किया जाता है यह क़ानून कहता है. परन्तु बिल्डर और प्रशासन ने उक्त कोई प्रक्रिया पूरी नही की जिससे ज़मीन का अधिग्रहण ही पूर्ण नही होता है अतः कृषकगणों की ज़मीन का अधिग्रहण ही नही हुआ है फिर भी बिल्डर आये दिन किसानों की ज़मीनों पर कब्ज़ा करता रहता है उन्हें आये दिन डराया धमकाया जाता है यहां तक की कई बार किसानों पे हमला भी हुआ है लेकिन प्रशासन ने कभी कोई ठोस कदम नही उठया ऐसे मे किसी किसान का कोई जानमाल का खतरा होता है तो उसकी ज़िम्मेदारी किसकी होंगी बिल्डर की या प्रशासन की |